aasmaan meiN kya
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है तग़ैय्युर नहीं गुमान में क्या ?
यानी दायम है तू जहान में क्या ?
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पढ़ के करते हैं अक़्ल को सज्दा ;
क्या पता ख़िर्द-मंद क़ुरान में क्या ?
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बा’दे जंग ये बचे हुए शहरी ;
ख़ुश रहेंगे कभी अमान में क्या ?
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कर रहे बात हो ठिठक कर तुम ;
कोई ग़ैर आ गया मकान में क्या ?
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राह गुज़रते ही ली ख़बर होती ;
हम न रहते थे दरमियान में क्या ?
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हैं मलामत में माहिर-ए-कामिल ;
सब हमारे ही ख़ानदान में क्या ?
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क्या हुआ गर मिला ख़ुदा न वहां ;
मिल गया सब है आसमान में क्या ?
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हो यक़ीं भी हमें तो किस पर हो ;
लोग बिकते नहीं दुकान में क्या ?
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दिन जो गुज़रे फ़राज़ वहशत में ;
तर्ज़े-जौन आ गया बयान में क्या ?
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