aawaazoN ke beech
.
कैफ़ो-मस्ती में हम आज़ारों के बीच ;
खिड़कियाँ तकते हैं दीवारों के बीच !!
.
इस क़दर आजिज़ हैं बातों से कि बस;
ख़ामुशी सुनते हैं आवाज़ों के बीच !!
.
लोग यों ही तो नहीं मर-मर गए ;
कुछ सदाक़त भी थी अफ़वाहों के बीच !!
.
ज़िन्दगी गुजरी कि गुज़रे जिस तरह ;
एक वक़्फ़ा दो मुलाक़ातों के बीच !!
.
कुछ अ’लालत थी मगर बा’द-अज़-इलाज;
हिचकियाँ बढ़ती गयीं आहों के बीच !
.
ग़ौर से देखो तो मशहूरी फ़राज़ ;
गुमशुदा होना है पहचानों के बीच !!
.