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हर समंदर में वह क़तरा होगा !!
जो किसी आँख से टपका होगा !!
वक़्ते-दिल-गीर नहीं है मुतलक़ ;
एक अरसा कभी वक़्फ़ा होगा !!
वह जो ख़ामोश रहा करता है ;
झूठ दुनिया के समझता होगा !!
अबकि बोला कि नहीं है मुमकिन ;
काम कहता था जो होगा होगा !!
मैंने क़िस्से में हक़ीक़त लिख दी ;
लोग डरने लगे अब क्या होगा !!
कल तो ईमाँ पे लगी थी बोली ;
आज सौदा मिरे सर का होगा !!
खो गए याद में जिसकी, उससे ;
कुछ नहीं नाम तो पूछा होगा !!
कोई बे-वज्ह न निकले घर से ;
यही सबके लिए अच्छा होगा !!
फ़ोन किसका था अगर मैं पूछूं ;
फिर कोई दोस्त पुराना होगा !!
जां-ब-हक़ तूर भले हो जाए ;
शौक़ ऐसा है न पूरा होगा !!
जिस तरह रो के सभी हँसते हैं ;
मिरे जाने का भी रोना होगा !!
ये हमारा तो वतीरा नहीं है ;
वहाँ होता है तो होता होगा !!
कोई उम्मीद नहीं हम पे फ़राज़ ;
मेहरबाँ दस्ते-मसीहा होगा !!