aham kirdaar hoN
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ख़श्म में गर ख़ार हों तो कश्फ़ में गुलनार हों ||
हर अदा में आप लेकिन मरहमे-बीमार हों ||
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गो रविश हो आपकी, सादा-रवी,आहिस्तगी ;
पर इरादे आपके, साबित , बला-रफ़्तार हों ||
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आप अहले-इ’ल्म में मक़बूलियत हासिल करें ;
शख़्सियत भी सुर्ख़-रु हो, सुर्ख़िए-अख़बार हों ||
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आप का होवे कभी भी, ना ख़िज़ाँ से इर्तिबात ;
ज़िन्दगी के दिन सभी, महकें गुले-गुलज़ार हों ||
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आपको मिलती रहे दुनिया की सारी दोस्ती ;
और दुश्मन आपके, हों भी अगर तो ख़्वार हों ||
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गर कभी दुश्वारियां जो, आपको दरपेश हों ;
हर तरह से आप तब, मज़बूत हों, तैयार हों ||
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तल्ख़िये-हालात में जब , ग़ैर भी आवाज़ दें ;
ख़ुद सरे-फेहरिस्त रहकर, आप ख़िदमतगार हों ||
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आपके होंठों से मांगे , चाशनी उर्दू ज़बाँ ;
आप महफ़िल में सरापा, नरमिए-गुफ़तार हों ||
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बंदा-ए-आजिज़ की रब से आख़िरी फ़रयाद है ;
आप मेरी दास्ताँ में, इक अहम किरदार हों ||
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