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है शो’ला ना शरार है और दिन है ईद का ||
हर आरज़ू बीमार है और दिन है ईद का ||
ہے شعلہ نا شرار ہے اور دن ہے عید کا
ہر آرزو بیمار ہے اور دن ہے عید کا
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मेहमान के ख़याल से ग़ुरबत डरी हुई ;
उड़जा हुआ दयार है और दिन है ईद का ||
مہمان کے خیال سے غربت ڈری ہویی
اجڑا ہوا دیار ہے اور دن ہے عید کا
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अपनों में इंतिशार का आलम न पूछिए ;
ग़ैरों पे इन्हिसार है और दिन है ईद का ||
اپنوں میں انتشار کا عالم نہ پوچھئے
غیروں پہ انحصار ہے اور دن ہے عید کا
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दामन ही क़ौम का ये नहीं बस लहू-लहू ;
पैवन्द भी तार-तार है और दिन है ईद का ||
دامن ہی قوم کا یہ نہیں بس لہو لہو
پیوند بھی تار تار ہے اور دن ہے عید کا
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मातम करें कहाँ कि हमारी ज़मीन पर ;
बारूद का ग़ुबार है और दिन है ईद का ||
ماتم کریں کہاں کہ ہماری زمین پر
بارود کا غبار ہے اور دن ہے عید کا
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बैठे हैं हम उदास यूँ ख़लवत में किस लिए ;
सब मा-सिवा-ए-यार है और दिन है ईद का ||
بیٹھے ہیں ہم اداس یوں خلوت میں کس لئے
سب ما سوائے یار ہے اور دن ہے عید کا
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होगा कभी विसाल , मयस्सर अभी मगर ;
फुरक़त है इंतेज़ार है और दिन है ईद का ||
ہوگا کبھی وصال میسّر ابھی مگر
فرقت ہے انتظار ہے اور دن ہے عید کا
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रोते फ़राज़ लोग हैं हालात देखकर ;
तू आज गिरया-ज़ार है और दिन है ईद का ?
روتے فراز لوگ ہیں حالات دیکھکر
تو آج گریہ زار ہے اور دن ہے عید کا ؟
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