.
वह नहीं जब तक गया था छोड़ के दुनिया के दुःख !!
मुझ से बेहिस को समझ आते न थे दुनिया के दुःख !!
.
हर ज़माने ने किया दावा तरक़्क़ी का मगर ;
एक दिन आया नहीं जब कम हुए दुनिया के दुःख !!
.
कुल लिखी तारीख़ की फ़ेहरिस्त-ए-ज़ुल्मो-जब्र में ;
करबला के बाद हैं सब दूसरे दुनिया के दुःख !!
.
आसमाँ को कर दिया घर दुश्मन-ए-ना-दीद का ;
इम्तेहाँ के वास्ते क्या कम थे ये दुनिया के दुःख !!
.
जाने क्या सब यार मेरे देखकर थे ख़ुश फ़राज़ ;
ग़ौर से मैंने भी देखा पर दिखे दुनिया के दुःख !!
.