.
ख़लिश ज़रा सी कहाँ पता था कि दर्दे-सर इस-क़दर बनेगी !!
वह मान बैठे थे सोच सबकी उन्हीं के ज़ेरे-असर बनेगी !!
.
जो वक़्त रहते ही बात करके इसे गिराया नहीं गया तो ;
ये नींव शक की ही आगे चलकर ना-इत्तेफ़ाक़ी का घर बनेगी !!
.
तमाम दुनिया के हिज्र की सब सियाह रातों की वहशतों को ;
मिला के रख दें तो एक मेरी बुझी हुई दो-पहर बनेगी !!
.
हमारे जैसे जो मर गए कल दस-एक-दर्जन भी हादसे में ;
बहुत हुआ कुछ तो रोज़नामे में एक छोटी ख़बर बनेगी !!
.
ये जिस मुसलसल ग्रोथ को तुम नजाते-बरहक़ बता रहे हो ;
ये चाह जन्नत की वो है जिससे ज़रूर दोज़ख़ इधर बनेगी !!
.
जिन्होंने हासिल उरूज का इक तवील वक़्फ़ा किया वो भूले ;
लगाए छ: दिन ख़ुदा ने जिसपर वो एक पल में सिफ़र बनेगी !!
.