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. मुतालबा है, मुहब्बतों का, कि मुस्कुराएं, ग़ज़ल सुनाएं !! फ़रेब यानी मिले जो इनसे, वो भूल जाएं ग़ज़ल सुनाएं !! . नहीं है पेशा ग़ज़ल सराई सो हमसे हरगिज़ न हो सकेगा ; कि ज़्यादती के जवाब में भी न संग उठाएं ग़ज़ल सुनाएं !! . है शाज़ उल्फ़त के इस्तिआरों पे दादे-नाक़िद हराम कारी ; लुटी वफ़ा की ज़मीन पर जब छिपी दग़ाएँ ग़ज़ल सुनाएं !! . गुज़र न होगा किसी का मुमकिन बग़ैर कानों पे हाथ रक्खे ; जो इनपे गुज़री है याद करके अगर सराएँ ग़ज़ल सुनाएं !! . उसूले-बहरो-रदीफ़ का दर्स फिर किसी दिन हुआ करेगा , अभी तो बज़्मे-सुख़न से ख़ारिज सभी सदाएं ग़ज़ल सुनाएं !! . सितमगरी के ये वीडियो भी सुबूत-ए-पुख़्ता अगर नहीं हैं ; बतौरे-शाहिद तो क्या अ’दालत को आत्माएं ग़ज़ल सुनाएं !! . सनम कदों में जो सर निगूँ थे, क़सीदा-ख़्वाने-बुताने-हिंदी ; गए कहाँ वह, उन्हें बुलाओ, यहां पे आएं, ग़ज़ल सुनाएं !! .

(written in response to Delhi riots, 2020)