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हिकमत में आपसे कहीं बढ़ कर इमाम है !!
दौर-ए-यज़ीद में तहे-ख़ंजर इमाम है !!
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हैं दायरे पे नुक़्तए-साबित सभी अहम ;
लेकिन असासे-क़ौम का महवर इमाम है !!
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ख़ुद को मिटा के दर्द-शनासी के शौक़ में ;
दरया से जा मिले जो समंदर इमाम है !!
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ज़िक्रे-असा-ए-मूसवी जुज़ दम नहीं है कुछ ;
ग़ाफ़िल फ़ुसूने-नौ से तिरा गर इमाम है !!
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ए’लानिया ख़ुदा को जो वाहिद न कह सके ;
फिर तो मज़ारे-दीं का मुजावर इमाम है !!
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हुज्जत है इसपे शरहे-उलिल-अम्र आख़िरी ;
ख़ाइन नहीं तो बा’दे-पयम्बर इमाम है !!
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बातों में बात इक कही उसने न वज़्न में ;
बे-नक़्स पर कहाँ पे मयस्सर इमाम है !!
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क़ायम जो अपने क़ौल पे ज़िन्दान में रहे ;
है मुत्मइन फ़राज़ वह हक़ पर इमाम है !!
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(written in response to the detention of Sharjeel Imam.)