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सूरत हसीं बयाँ क्या परवरदिगार करते !!
दामन ज़रा भी यूसुफ़ गर दाग़दार करते !!
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ख़ुद ज़िन्दगी में अपनी इतना वह मुब्तिला थे ;
हम उनसे इल्तिजा भी क्या बार बार करते ||
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गुज़रा है मिस्ले-महशर, वक़्फ़ा ये रात भर का ;
पेशी का अगले दिन की, बस इंतेज़ार करते ||
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अच्छा बताओ ज़ाहिद देखे हैं कितने आशिक़ ;
तस्बीहे - ज़िक्रे - जानाँ , तुमने शुमार करते !!
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कहती है अक़्ल दिल से जुम्बिश तो आप करते;
तामील-ए- हुक्म फ़ौरन, हम ख़ाकसार करते !!
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जम्हूरियत पे मरते अपने फ़राज़ रहबर ;
ख़ुद होश में नहीं थे , क्या होशियार करते !!
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