mehmaaN banayeNge
.
दिल में किसी मुराद को मेहमाँ बनाएँगे !
यानी कि ख़ार-ज़ार, शबिस्ताँ बनाएँगे !
.
जा तो रहे हैं पर हमें हरफ़न पता हैं सब ;
बातें जो शैख़े-महफ़िले-नादाँ बनाएँगे !
.
बुनियाद कह रही थी इमारत भी एक दिन ;
ये जो अभी हैं बे-सरो-सामाँ, बनाएँगे !
.
कुछ तुम हमारी चाह में वा’दा वफ़ा करो ;
कुछ हम तुम्हारी राह के इमकाँ बनाएँगे !
.
जिसका है हर्फ़ गर्दिशे-दौराँ पे आख़िरी ;
उसके कहे को नुक़्ता-ए-ईमाँ बनाएँगे !
.
या रब बज़िद हैं इस पे ख़ुदायाने-वक़्ते-नौ ;
हम लैब में मशीन को इन्साँ बनाएँगे !
.
अफ़्कार इक सदी जो मुसल्लम न रह सके ;
हमको फ़राज़ ख़ाक मुसलमाँ बनाएँगे !