.
होता है ख़ुदा मुल्क, न मिट्टी के सनम और ||
कितने ही यहाँ दफ़्न, हैं अरबाबे-हकम और ||
.
जिसका था हमें ख़दशा, नतीजा वही आया ;
यानी रही बाक़ी न मुहब्बत है बहम और ||
.
मनशूर-ए-ख़ुदा में तो, अज़ल से ये लिखा है ;
पाएंगे सितमगर भी , यहां दौरे-करम और ||
.
नफ़रत का सबब मसला-ए-वहदत तो वही है ;
लेकिन हमें दर-पेश है इक तर्ज़े-सितम और ||
.
हम दैर में ख़ामोश , खड़े हैं ये बहुत है ;
हो कुफ़्र खुला सर करें, थोड़ा भी जो ख़म और ||
.
तुमको है गुमाँ गर कि घटेगा न सितम और ||
हमको भी क़सम जान की खाएंगे क़सम और ||
.