sataaye jaa rahe haiN
.
संग-ए-फ़ख़्रे-तमद्दुन को ढाए जा रहे हैं ||
ये जो कन्धों पे बोझा उठाए, जा रहे हैं ||
.
ज़ुबाँ से तर्जुमानी के ना-क़ाबिल गदागर ;
शहे-दानिश को भी मुंह चिढ़ाए जा रहे हैं ||
.
इन्हें परदेस में भी , नहीं रोका किसी ने ;
ये अपने गांव भी बिन-बुलाए जा रहे हैं ||
.
इन्हें जन्नत-नशीनी पे है मोहकम भरोसा ;
सो उस तोहफ़े की क़ीमत चुकाए जा रहे हैं ||
.
यहाँ क़ातिल अदालत से बा-इज़्ज़त बरी हैं ;
मगर ग़ुरबत के मुजरिम सताए जा रहे हैं ||
.
(Written during covid)