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फिर से अबला कोई लुटी होगी ||
और हमारी रविश वही होगी ||
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ले के निकलेंगे मोम-बत्ती हम ;
फिर से सड़कों पे रौशनी होगी !!
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फिर से मंचों पे रोयेंगे लीडर ;
फिर सियासत खुली हुई होगी ||
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फिर ख़यालाते-अहले-दानिश में ;
कुछ दिनों तक तना-तनी होगी ||
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फिर न बदलेंगे तर्ज़ जीने का ;
कोई हम में न बेहतरी होगी ||
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फिर वह पाएंगे रात को मौक़ा ;
फिर से सरकार सो रही होगी ||
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