sunaao karbala mujhe
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जुनूँ में तुमने बारहा , बुरा बहुत कहा मुझे !!
मगर तेरा कहा कभी , लगा नहीं बुरा मुझे !!
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अभी तो ये मुहाल है, कि ताबे-शौक़ ला सकूँ ;
कभी हुसूले-शौक़ से, मना किया गया मुझे !!
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फ़क़त तेरे ख़याल से, मैं सज के बज़्म में गया ;
किसी भी रस्मो-राह से, ग़रज़ वगर्ना क्या मुझे !!
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तुझे ज़रूर जाने-जां, मैं मिलने वां बुलाऊंगा ;
अगर कहीं जो मिल गया, मिरा सही पता मुझे !!
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मज़े से उसके कारे-बद, शुमार कर रहा था मैं ;
किया जो अपना एहतिसाब, वह भला लगा मुझे !!
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यज़ीदियत का दौर है, सो ख़ून बेक़रार हो ;
शहादतें बयाँ करो, सुनाओ करबला मुझे !!
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उन्हें न ये गुमान हो , कि सब भुला चुका हूँ मैं ;
हदफ़ सभी फ़राज़ के , हैं याद बा-ख़ुदा मुझे !!
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