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जो ख़ैरो-शर के नए क़वाइद, की ख़ूब तशहीर कर रहे हैं ||
मफ़ादे-ताजिर नज़र में रखकर, बाज़ार ता’मीर कर रहे हैं ||
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जिन्हें है फ़िक्रे-उ’रूजे-पैहम,अक़ीदा उनका है जां-फ़िशानी ;
नहीं तख़य्युल के पेंचों-ख़म में, तलाश तक़दीर कर रहे हैं ||
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नयी किताबें, ख़ुदा नए हैं, जदीद फ़ितने गो सर-बुलंद हैं ;
ख़तीब-ए-उम्मत मगर पुरानी, बयान तफ़सीर कर रहे हैं ||
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कि ज़िन्दगी में फ़राज़ अपनी, बचा ही क्या है सिवाय इसके ;
क़दीम ख़्वाबों की बस किसी के, तवील ताबीर कर रहे हैं ||
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