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सो ये उसने किया एहसान कि ख़ंजर बदले !!
मैंने चाहा था रविश कुछ तो सितमगर बदले !!
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जुम्बिशे-लब से तिरे हर्फ़ के वा होने तक ;
कितने अदवार मिरी ज़ात के अंदर बदले !!
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साथ चलना हुआ हमको न चमन में भी नसीब ;
ख़ार चुभते ही पए-यार ने तेवर बदले !!
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छा गयी उस रुख़े-ज़ेबा की सँवरती हुई याद ;
शाम अफ़्लाक ने इस नाज़ से ज़ेवर बदले !!
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गरमिए-लम्स से सरशार है दौलत का बदन ;
और करवट तने-तनहा दिले-बेघर बदले !!
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साफ़ गोई नहीं अच्छी , ये जुआ-ख़ाना है ;
जीत उसकी यहाँ पत्ते जो छिपाकर बदले !!
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पसे-मँज़र हैं वही जिनके बुज़ुर्गों ने फ़राज़ ;
रस्मे-कोहना की मुहब्बत में न मँज़र बदले !!
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